Friday, June 7, 2019

1)

मैंने राहत इन्दौरी साहब के इस शेर को इन दिनो कई बार सुना है लेकिन इस शेर को पढ़ने का उनका अंदाज इतना तल्ख था कि हैरानी हुयी और दुख भी.. "सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है " उनको उन्ही की भाषा में विनम्र जवाब:- खफा होते है हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी है जहाँ भर से लताड़े जा चुके है, इनका मान थोड़ी है . ये कान्हा राम की धरती, सजदा करना ही होगा मेरा वतन ये मेरी माँ, लूट का सामान थोड़ी है . मैं जानता हूँ, घर में बन चुके है सैकड़ों भेदी जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है . मेरे पुरखों ने सींचा है लहू के कतरे कतरे से बहुत बांटा मगर अब बस, खैरात थोड़ी है . जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़ी है ? . बहुत लूटा फिरंगी ने कभी बाबर के पूतों ने ये मेरा घर है मेरी जां, मुफ्त की सराय थोड़ी है (आप मेरे पसंदीदा शायर हैं, होंगे पर मुल्क़ से बढ़कर थोड़ी हैं)


Courtesy: Manoj Shukla

2)

https://www.youtube.com/watch?v=aObhKcGb8S8

Difference between cats and Dogs.

Dogs : "They feed me they care me, they must be Gods" Cats: "They feed me, they care me, I must be God"

3)
Kumar Vishwas at one of  his best:
https://www.youtube.com/watch?v=GgT6mSG9wzI

4) How Anchal started her amazing journey into this world.